छत्रपती संभाजी महाराज: स्वाभिमान और शौर्य के प्रतीक
छत्रपती संभाजी महाराज भारतीय इतिहास के महान योद्धाओं में से एक थे। वे मराठा साम्राज्य के दूसरे छत्रपती थे और अपने पिता, छत्रपती शिवाजी महाराज की वीरता और प्रशासनिक कुशलता के सच्चे उत्तराधिकारी साबित हुए। उनके जीवन का हर पहलू संघर्ष, स्वाभिमान और राष्ट्रभक्ति से भरा था।
संभाजी महाराज का प्रारंभिक जीवन
संभाजी महाराज का जन्म 14 मई 1657 को पुरंदर किले में हुआ था। बचपन से ही वे असाधारण बुद्धिमान और कुशल योद्धा थे। उन्होंने संस्कृत, मराठी और फारसी भाषाओं में शिक्षा प्राप्त की, जिससे वे प्रशासनिक और सैन्य रणनीतियों में निपुण बने।
हालांकि, उनका जीवन आसान नहीं था। उनकी माता, सईबाई का देहांत उनके बचपन में ही हो गया, और उनकी सौतेली माँ सोयराबाई ने उन्हें सिंहासन से दूर करने का प्रयास किया। लेकिन उनकी काबिलियत और धैर्य ने उन्हें मराठा साम्राज्य की बागडोर संभालने के लिए तैयार किया।
शासनकाल और युद्ध कौशल
1681 में संभाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की गद्दी संभाली। उन्होंने अपने शासनकाल में कई शक्तिशाली शत्रुओं से संघर्ष किया, जिनमें मुगल सम्राट औरंगज़ेब, पुर्तगाली, अंग्रेज़ और अन्य आक्रमणकारी शामिल थे।
मुख्य उपलब्धियाँ:
- मुगलों के खिलाफ आक्रामक नीति अपनाकर मराठा साम्राज्य को सुरक्षित रखा।
- दक्षिण भारत के कई दुर्गों को जीतकर अपने शासन का विस्तार किया।
- मराठा नौसेना को मजबूत किया और समुद्री व्यापार की रक्षा की।
- हिंदवी स्वराज्य की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
संभाजी महाराज का बलिदान
1689 में संभाजी महाराज को उनके ही एक विश्वासपात्र ने धोखे से मुगलों के हाथों सौंप दिया। औरंगज़ेब ने उन्हें इस्लाम स्वीकार करने के लिए अमानवीय यातनाएँ दीं, लेकिन वे अडिग रहे। अपनी अंतिम साँस तक उन्होंने मराठा स्वाभिमान की रक्षा की और धर्म परिवर्तन से इनकार कर दिया।
11 मार्च 1689 को, उन्हें क्रूर यातनाओं के बाद वीरगति प्राप्त हुई। उनका यह बलिदान मराठा साम्राज्य के लिए प्रेरणा बना और अंततः मराठाओं ने मुगलों को पराजित किया।
संभाजी महाराज की विरासत
संभाजी महाराज केवल एक योद्धा ही नहीं, बल्कि एक विद्वान और नीतिज्ञ भी थे। उनकी लिखी पुस्तकें और उनके द्वारा संरक्षित सांस्कृतिक धरोहरें आज भी प्रासंगिक हैं।
उनकी याद में:
- महाराष्ट्र में कई स्मारक और संस्थाएँ उनके नाम पर स्थापित हैं।
- उनकी वीरता को याद करने के लिए हर साल 11 मार्च को "संभाजी बलिदान दिवस" मनाया जाता है।
- मराठा इतिहास में उनका नाम स्वराज्य और आत्मसम्मान की रक्षा के प्रतीक के रूप में दर्ज है।
निष्कर्ष
छत्रपती संभाजी महाराज का जीवन बलिदान, साहस और अद्वितीय नेतृत्व का उदाहरण है। उनका संघर्ष आज भी हर भारतीय को प्रेरित करता है। वे न केवल एक योद्धा थे बल्कि एक महान प्रशासक और विचारक भी थे।
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